Saturday, April 23, 2011

kuch bache ache hote hain..


Post dedicated to Moin (or for thousands of Moin-in-Making).


कुछ बच्चे अच्छे होते है, बहुत अच्छे होते है,
वो विडियो गमेस नहीं मांगते, खिलोने भी नहीं मांगते. 

जिद भी नहीं करते, और मचलते तो बिलकुल भी नहीं है.

बड़ो का कहना मानते है, और इतने अच्छे होते है 
की छोटो का कहना भी मान लेते हैं. 

इतने अच्छे बच्चों  की तलाश में रहते हैं हम.

और मिलते ही उन्हें ले आते है,
अक्सर १०० रुपैये महीने और दो वक़्त के खाने पर.


In amidst of usual excel/power point stuff, received a text last evening, which goes like this: 

If thinking/passing by India Gate today evening, make yourself to drop in there for few minutes. A candlelight vigil is being organized by ‘Bachpan Bachao Andolan’ - Kailash Satyarthi. Let's stop child labour.

What annoyed me most, was the sender who recently hired a 14-15 year old kid for household tid-bits. DISGRACEFUL. OUTRAGE. (I replied).

Back home, was disturbed. Tried, failed and re-tried. But could not find the answer. Wonders what is with this attending-a-candle light-vigil-thing? Is it become fashionable these days? Or does it sounds cool?  Can Child Labour get curbed just by gathering the crowd who don’t even know or bother to know about the ghastly reality?  

When will we introspect rather than just-attending-a-vigil/dharna? Will we ever? 

Saturday, April 16, 2011

Under the Influence. (Part I)

हिचकियों के काफिले

कुछ हिचकियों के काफिले आये तो लगा,
उसने मुझे याद किया होगा.

इसी वजह से नींद ने कल रात मुझसे मुह मोड़े रखा,
तो लगा शायद वो जागकर मुझे याद कर रहा होगा.

पूछा जब मैंने तो बड़ी बेरुखी से बात को टाल गया. 

फिर भी आज यूँ लगा की उसने मुझे दिल से याद किया होगा,
की आज अनजाना सा एक एहसास भरी पूरी महफ़िल में फिर से मेरा 
तस्सवुर चुरा गया.


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मैंने तुमसे कब कहा 

मैंने तुमसे कब कहा, की हमेशा  मेरी आँखों के सामने रहो, 
चाहा बस यही की आँखों में मासूम सपने की तरह बसे रहो.

मैंने तुमसे कब कहा की मुझे अपनी ज़िन्दगी में कोई जगह दो, 
चाहा बस यही की मुझे अपनी यादों के तस्सवुर में समेटे रखो. 

मैंने तुमसे प्यार पाने के लिए प्यार नहीं किया,
मैंने तो तुमसे प्यार में होने के लिए प्यार किया. 

मुझे तुमसे वो सब नहीं चाहिए
की शायद तुम मुझे 'वो' सब दे भी नहीं सकते

सिर्फ इतना कह दो की
बस यही रुक जाओ, मेरे 'वजूद' के कही आस - पास.


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तमन्ना

तमन्ना है मेरी हमेशा से यही
शहर भर में तेरे दोस्त भरे रहे,
तेरी नजदीकियां मगर सिर्फ मुझे मिले. 

गैरों की महफ़िल में ठहाके तेरे बुलंद रहे
तनहाइयों की वो मुस्कुराहटें मगर सिर्फ मुझे मिले.

तेरा साया भी तुझसे रहे दूर
की रत्ती भर भी दूरी बीच में ना रहे.

बातें मेरी या चरचें सभी
तेरे ही किस्सों से भरपूर रहे

तुझसे जुदा होके जो मिले है दिल को ज़ख़्म
खुदा करे मेरी चाहत की तरह, ये भी हमेशा 'हरे' रहे.